सोमवार, 25 नवंबर 2019

शिक्षा ! कैसी थी कैसी हो गयी ....


शिक्षा ! कैसी थी कैसी हो गयी ..?
धूल धूसरित देख रहा हूँ
अब शिक्षा के अवदानों को ,
निर्धन याचक बेबस कुंठित हैं,
आरक्षित है धनवानों को-
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अद्वितीय प्रमेय पथ सृजित करेंगे
ज्ञानोदय होगा नव-दिनकर का ,
हतभाग्य विपणन की बस्तु बनी
बिकते देख रहा प्रतिमानों को -
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शिक्षा होगी ,भारत समृद्ध होगा ,
जिजीविषा उन्नति की जाग्रत होगी
हर ह्रदय सहभाग सराहेगा,
भरेंगे रंग प्रज्ञा के परिधानों को -
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गंतव्य कहाँ, पग किधर चले
विस्मृत दिशा पग किधर गए
त्याग उर्जा का संग्रह संवर्धन
जोड़ रहे मुद्रा से शिक्षा संस्थानों को -
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उदय वीर सिंह





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