रविवार, 24 मई 2020

दुर्दिन से हार न मानूंगा ....

अति वेदन है आघात अनेकों
सृजन में प्रतिकार न चाहूँगा ,
हम मानेंगे विपदा को अवसर,
दुर्दिन से नत हार न मानूंगा -
कौन लिखेगा पत्र अधूरे यदि
मानवता के किंचित छुट गए
निकलेगी कोंपल पुनः कोख से ,
मूल्यों का संहार न चाहूँगा -
अवरोध गिरेंगे द्वार सृजन के
जीवन -नीड़ निर्मित होंगे
टूर गया बसंत फिर आएगा ,
उर विश्वास का सागर चाहूँगा -
उदय वीर सिंह

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