शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

ऊंचा आकाश रखिये...


 





🙏🏼नमस्कार मित्रों !


सार्थकता और सृजन  की सदा प्यास रखिये।

धूप व छांव स्थायी नहीं ऊंचा आकाश रखिये।

पाखंड और चमत्कारों की सनसनी से कहीं दूर,

अपने मन-मानस और बाहुओं पर आस रखिये।

बादल कुछ घने हैं इस पार अवसादों के माना,

उस  पार  रोशनी  है मन को मत उदास रखिये।

ये दीये बुझ जाते हैं चली तेज रफ्तार हवाओं से,

कभी न बुझता ज्ञानदीप दिल में उजास रखिये।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: