हो सकता है तेरा जीवन
मेरा जीवन लाचार नहीं है -
हो सकता है तेरा आँगन
मेरा आँगन बाजार नहीं है -
बिक जाऊंगा स्वार्थ अर्थ मेँ
यह मेरा सभ्याचार नहीं है
ना दरबारी हूँ न राग-दरबारी
दासत्व मुझे स्वीकार नहीं है -
हर पल जीता निज स्वांसों पर
कुछ भी कहीं उधार नहीं है ,
निर्माणक हूँ संवेदन-शाला का
वेदन विच्छेदन आचार नहीं है -
अशिष्ट झूठ छल का सम्पादन
मनव संस्कृति संस्कार नहीं है
हास्य परिहास का छंद विनोदी
धर्म-ग्रन्थों का सार नहीं है -
हो सकता है ,तेरा मधुवन
मेरा मधुवन व्यापार नहीं है
हैं अंक खुले शरणागत को
हत वैरी को अधिकार नहीं है -
उदय वीर सिंह
मेरा जीवन लाचार नहीं है -
हो सकता है तेरा आँगन
मेरा आँगन बाजार नहीं है -
बिक जाऊंगा स्वार्थ अर्थ मेँ
यह मेरा सभ्याचार नहीं है
ना दरबारी हूँ न राग-दरबारी
दासत्व मुझे स्वीकार नहीं है -
हर पल जीता निज स्वांसों पर
कुछ भी कहीं उधार नहीं है ,
निर्माणक हूँ संवेदन-शाला का
वेदन विच्छेदन आचार नहीं है -
अशिष्ट झूठ छल का सम्पादन
मनव संस्कृति संस्कार नहीं है
हास्य परिहास का छंद विनोदी
धर्म-ग्रन्थों का सार नहीं है -
हो सकता है ,तेरा मधुवन
मेरा मधुवन व्यापार नहीं है
हैं अंक खुले शरणागत को
हत वैरी को अधिकार नहीं है -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
उत्कृष्ट प्रस्तुति
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