कैसे तेरे हिस्से में धरती आसमान आ गया ,
मैंने तो अपना हक़ माँगा,जैसे लगा कि तूफ़ान आ गया -
बहसीपन के धर्म और जाति होने लगे,
इंसानियत की राह हिन्दू ,मुसलमान आ गया -
गायब हो गए रास्ते के प्याऊ घोंसले मकान
लहलहाते बागों की जगह रेगिस्तान आ गया -
उदय वीर सिंह
मैंने तो अपना हक़ माँगा,जैसे लगा कि तूफ़ान आ गया -
बहसीपन के धर्म और जाति होने लगे,
इंसानियत की राह हिन्दू ,मुसलमान आ गया -
गायब हो गए रास्ते के प्याऊ घोंसले मकान
लहलहाते बागों की जगह रेगिस्तान आ गया -
उदय वीर सिंह
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