शनिवार, 12 अक्तूबर 2019

पत्थर का बना दो ....


पत्थर का बना दो........
एक नयी दुनियां के लिए
उन्हें पत्थर का बना दो
जिनके ह्रदय में संवेदना है -
छीन लो उनकी हवा ,पानी अग्नि
या बदल दो उनके पथ
उस दिशा में
जिसे प्रकृति ने अभी नहीं बनाया .....
शायद उनका तुम
निर्माण करोगे......
उन्हें पत्थर का बना दो
वो अवांछित लगते हैं
जिनके मन -मानस में वेदना है ...
अमानवीयता का प्रतिकार है
अप्रभावित रहेंगे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष से,
किसी अधिकार द्वेष वैर विरोध भय शंकाओं से मुक्त ..
उन्हें पत्थर का बना दो
जिनमें नवीनता अन्वेषण की जिजीविषा है
सम्मान है मनुष्यता जीवन के प्रति
पूर्ण विराम लगा दो ..
उन आश भरी आँखों पर
जो अंधरे से उजास की
खोज में हैं ---
उन्हें पत्थर का बना दो .....
उन्हें पत्थर बना दो ...
उदय वीर सिंह






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