गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

वो बहादुर ...


 




ज़ख्म सिलते नहीं...।

दिल में डर आंधियों का सहेजे हुए,

वो  बहादुर ,घरों से निकलते नहीं।

जो भी आया शरण में हमारा हुआ,

वो बहादुर वचन दे , बदलते नहीं।

जिसने दिल दे खरीदा हो सारा जहां,

वो बहादुर कभी मोल बिकते नहीं।

जंग में ज़ख्म से जब मोहब्बत हुई,

वो बहादुर कभी ज़ख्म सिलते नहीं।

जिंदगी नाम लिख दी वतन के लिए,

वो बहादुर फिज़ाओं में मिलते नहीं।

उदय वीर सिंह।

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