जब सावन सो जाता है
मधुवन को रोना पड़ता है -
जब हाथों से औज़ार गए
तब भूखा सोना पड़ता है -
रत कालजयी कर्तव्यों में
अपनों को खोना पड़ता है -
फूलों की चाहत में मितरा
काँटों को सहना पड़ता है -
विष की दवा विष ही होता
संग विष को ढोना पड़ता है -
दर्शन विहीन हीन मानस को
मिथकों में जीना पड़ता है -
-उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20 - 08 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2073 में दिया जाएगा
धन्यवाद
एक टिप्पणी भेजें