शनिवार, 13 जून 2020

दरार आ गयी .......


 दरार गयी .....
अक्ल की वांछित दाढ़ गयी,
विपदाओं की पूरी बाढ़ गयी -
मौन-व्रत था अपना घर जलने तक ,
जब ख़ाक हो गया तो दहाड़ गयी -
अतिउत्साह में सागर को सरोवर कहना ,
कागजी किश्ती टूट दो फाड़ गयी-
काठ की हांडी में लंगर कैसे पकता जी ,
आग और हांडीके बिच दरार गयी -
बाँध कर बारूद पल्लू में सौगात कहना,
एक चिंगारी लगी कि साड़ गयी -
उदय वीर सिंह

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