रविवार, 17 अप्रैल 2022

ठेका कौन लेगा...


 




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जब  तुम्हें किसी  की  परवाह  नहीं, 

तो तेरी परवाह का ठेका कौन लेगा।

मुतमईन  हो शाख  की शोखियों पर,

दरख़्त के निबाह का ठेका कौन लेगा।

यकीन नहीं रहाअख़बार तकरीहों पर,

सरगोशीअफ़वाह का ठेका कौन लेगा।

किसी  शहर  मजरे गांव के हुए नहीं,

तेरे  निकाह  का  ठेका  कौन  लेगा।

रुखसत हो गए फकीरों दरवेश दर से,

खाली पड़ी दरगाह का ठेका कौन लेगा।

उदय वीर सिंह।

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