बुधवार, 25 सितंबर 2019

राह भटकते ज्ञानी -जन


जब राह भटकते ज्ञानी-जन
जनता को आना होता है,
दिशा गंतव्य की बांह पकड़
उन्हें दिखलाना होता है -
बहकी राजनीति के तीर
सदा घावों को देते हैं,
तब पंच प्यारों को मरहम
लेकर आना होता है -
परिभाषा जब मानवता की
विकृत होने लगती है
तब न्याय निहित सद्दभावों का
मर्म बताना होता है -
जनता का मौन ,मूक नहीं
मर्म रेखांकित करती है
उसके एक इशारों पर ही
भूपों को बाहर जाना होता है -
उदय वीर सिंह





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