इसरो [ISRO]
का सफ़र अंतहीन
मात्र विरमित हुआ ,
विसर्जित नहीं ......
पुनः गमित होगा अनंत पथ ,
लिखने को अनंत गाथा
अंतरिक्ष की ,रहस्य की,
भारत के असीम ज्ञान,
आत्मबल शौर्य व संकल्प की -
न मद्धिम होगी नभ-दीप-शिखा
खुलेंगे पट ,नव युग,ग्रहों के
लिए उद्दाम लालसा
जीवन के विकास की
मानवीय उत्कर्ष विन्यास की .....
हो गयी अरदास तो
जत्था मुड़ता नहीं ,
तेरे पद चिन्ह करेंगे सरदारी
ब्रहमांड की आकाश की ----
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 08 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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