रुत वेदन की
आयी , संवेदन का संज्ञान करो,
आंसू क्रंदन अवसाद तजो साहस सर संधान करो -
अभिशप्त न हो
जीवन से
करूणा,
दया
प्रेम सास्वत रखना
विपदा
के
झंझावातों में
सहकार सदा जाग्रत रखना -
टूटा है हर
तुफ़ान सबल ,
वर
जीवन का
अभिमान करो -
साक्षी हैं युग संवत संवत्सर ,
जीवन
मधुमास ले आया है
बाँध
पीर पतझर की पोटल
नद
अनल प्रवाह दे आया है -
भोर
उत्सव की आनी है
मन
शंसय का
अवसान करो -
उदय
वीर सिंह
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