शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

मुगालते में था...







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तेरी ख़ामोशियों के पीछे कौन है मुगालते में था।

इल्मो हुनर शराफत,वफ़ादारी मुगालते में था।

शीशे की दीवारों का बे-तरह टूट बिखरा मंजर,

भीड़,पत्थरों की कवायद होगी मुगालते में था।

रिश्तों  का  टूट  जाना  उनका बेसुरा हो जाना,

तलाक की वज़ह तवायफ़ होगी मुगालते में था।

उदय वीर सिंह।

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…
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Abhilasha ने कहा…
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