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तेरी ख़ामोशियों के पीछे कौन है मुगालते में था।
इल्मो हुनर शराफत,वफ़ादारी मुगालते में था।
शीशे की दीवारों का बे-तरह टूट बिखरा मंजर,
भीड़,पत्थरों की कवायद होगी मुगालते में था।
रिश्तों का टूट जाना उनका बेसुरा हो जाना,
तलाक की वज़ह तवायफ़ होगी मुगालते में था।
उदय वीर सिंह।
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