रविवार, 31 जुलाई 2022

तूफान से मिलकर देखिए...


 





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कितना सच  सा  लगने लगता है झूठ,
कभी  बे- ईमान  से  मिलकर  देखिए।
किसी दरबारी के सामने बौना लगता है,
कभी किसी  तूफान से मिलकर देखिए।
ईश्वर को ढूंढना न पड़ेगा कभी दर-बदर,
किसी पाखंडी से जुबान लड़ाकर देखिए।
भूख  गरीबी  दहशत  फ़रेब गुमशुदा हुए,
दूरबीन लिए सितारों से मिलकर देखिए।
कितनी रंगत है बुतों की ऊंची फसीलों की,
बदरंग हो गया है इंसान से मिलकर देखिये।
इफरात पानी है लहराता हुआ मरुस्थल में
कभी किसी मृग-छौने से मिलकर देखिए।
उदय वीर सिंह।

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