रविवार, 8 जनवरी 2023

चिराग़ों का मिजाज अपना है...


 



🙏🏼नमस्कार सुधि मित्रों !


ख्वाहिश नहीं कोई सूरज  ,चांद होने  की,

दहलीज के चिरागों का मिज़ाज अपना है।

खून  और  आसुओं  का  मुजस्सिम  नहीं,

कायम रहे दस्तार सिर का ताज अपना है।

जरूरत  नहीं  किसी  संगीत वाद्य यंत्रों की,

अलबेली  कोयल  का  सुर साज अपना है।

करते फतह मंजिल मुश्किलों को तार करके,

राहअपनी ही चले उनका अंदाज अपना है।

उदय वीर सिंह।

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