🙏🏼नमस्कार सुधि मित्रों !
कल तक थे दोस्त ,रक़ीब लिखने लगे।
कलमआयी हाथ तो नसीब लिखने लगे।
अमीरों की फेहरिश्त में नाम जिनका,
सुन मुनादी ख़ैरात की गरीब लिखने लगे
दी हवा सारेआम आगजनी की जिसने,
रहजनों के सालार तहजीब लिखने लगें।
ये दौर भी गिरावट बदला तो खूब बदला
अदीब जांनिसारी के अजीब लिखने लगे।
उदय वीर सिंह।
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