बुधवार, 18 अगस्त 2021

...बामियान होने में..✍️


 









संस्कृतियों के हजारों साल  लगे,उन्हें महान होने में।

दिन के दो-चार लगे बेबसी काअफग़ानिस्तान होने में।

जिस जमीं पर इंसानियत के गुलजार थे सोणे चमन,

बारूदों को अच्छा नहीं लगा बुद्ध का बामियान होने में।

जिन आंखों ने मांगी जिंदगी व सलामती सबकी,

दर-बदर ठोकरों में देख शर्म आती है इंसान होने में।

उदय वीर सिंह।