शनिवार, 21 अगस्त 2021

सफाई तो बनती है ...






औरों के दर्द के हमदर्द हुए बधाई तो बनती है।
लगे दामन के दाग की भी सफाई तो बनती है।
कातिल को सज़ा मुक़र्रर हो ये इंसाफ होगा।
लगेआप पर इल्जामों की सुनवाई तो बनती है।
तकलीफ़ हुई किसी के घरों में हुई अनबन से,
जो सदियों से बंद बाड़ों में रिहाई तो बनती है।
शहनाईयों का क्या खुशी, मातम में भी बजती हैं
इंसाफ अधूरा है,कलम में रोशनाई तो बनती है।
उदय वीर सिंह। 

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