अगर नूर है आंखों में दिखालाई देना चाहिए
देश के इन सेवादारों की परछाईं होना चाहिए।
भीख नहीं वो निज-श्रम की कीमत मांग रहे हैं,
खेत खलिहान के देवों की भरपाई होना चाहिए।
महलों के रहने वालों से इनका गिला नहीं है,
तन-मन से दरवेेशो की सच्चेमन सुनवाई होनी चाहिए।
उदय वीर सिंह।
6 टिप्पणियां:
वाह। दिखलाई कर लें।
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (12-08-2021 ) को धरती पर पानी ही पानी (चर्चा अंक 4144) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सत्य
सत्य
भीख नहीं वो निज-श्रम की कीमत मांग रहे हैं,
खेत खलिहान के देवों की भरपाई होना चाहिए।
वाह!!!
क्या बात...
बहुत ही सुन्दर ।
बहुत सुंदर सृजन
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