शनिवार, 26 जनवरी 2019

देश सेवा भूख मेरी ...


देश-सेवा भूख मेरी ,देश- सेवा प्यास है
हम-हमारा त्याग कर हित देश की अरदास है-
स्वीकार भारत भूमि हित वैराग्य है संन्यास है -

जन्म से मृत्यु का पथ ,गंतव्य भारत अर्चना
हर स्वांस में हर शब्द में अर्पण भरी अभ्यर्थना
अर्पित करें ले शीश कर मम जन्म का प्रयास है -

हम रहें, या ना रहें ,मेरा देश जीए युग अनंत ,
वलिदानके जत्थे जियें वलिदान ही जिनका बसंत
प्रीत तिरंगा रीति तिरंगा वसन तिरंगा खास है -

मानवता को उर्जामय करती रही माँ भारती

सकल विश्व को दृष्टि नवल ,देती रही माँ भारती
आँचल में इसके सूर्य प्रखर ,उज्वल जगत प्रकाश है -
उदय वीर सिंह





बुधवार, 23 जनवरी 2019

अपनों से कौन गिला करता है


जो सुनते हैं दिल की आवाज
उन्हें सिजदा मिला करता है ,
फिक्रमंद ढूंढते हैं इंसानियत
उन्हें खुदा मिला करता है -
फरजंद का कोई शानी नहीं वीर
जख्म पाता है सिला करता है
बड़ी तहजीब से सम्हाल रखा है
बे-अदब आपके अल्फाजों को
बाअदब हूँ शराफत आती है हमें
अपनों से कौन गिला करता है -
उदय वीर सिंह

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

भरा रहे सम्मान कोश

बयान दर्ज है -
अभिव्यक्ति को विराम न दो 
कलुष को स्थान न दो 
गुण सदा पोषणीय होते हैं 
दोषों को सम्मान न दो -
प्रतिदान वांछनीय है वीर
समर्थ को कभी दान न दो
गंतव्य की जय होने तक
प्रयासों को आराम न दो -
स्वाभाविक है जिजीविषा होनी चाहिए
शिक्षक को ज्ञान न दो
प्रत्यंचा कवच जब ढीले हो
सर को कभी संधान न दो -
प्रज्ञा पयोधि भरता जाए
मन -मानस अभिमान न दो
भरा रहे सम्मान कोश
हो ह्रदय उदार अपमान न दो -
उदय वीर सिंह

शनिवार, 19 जनवरी 2019

मारीशस में सिक्ख -दर्शन


मारीशस में सिक्ख -दर्शन 
मारिशस यात्रा अगस्त 2018 [ विश्व हिंदी सम्मलेन ]
मरिशस देश की यात्रा के दौरान मुझे हिंदी सम्मलेन में कुछ अनुरागियों द्वारा अवगत कराया गया कि सम्मलेन स्थल ' स्वामी विवेकानंद प्रेक्षागृह ' से लगभग पांच [5 ] किलोमीटर दूर एक सिख गुरुद्वारा भी है,जिसकी मारीशस में आरंभिक काल से रह रहे सिक्ख अनुयायियों अन्य धर्मावलम्बियों द्वारा बड़ी श्रद्धा पूर्वक सेवा- संभाल की जाती है मैं उस गुरूद्वारे के दर्शन- दीदार की इच्छा व्यक्त की, जिसे वहा एक भारतीय मूल के प्रवासी श्री जगदीश नायक जी जो मारीशस के एक कपड़ा कारखाना में महाप्रबंधक पद पर स्थापित हैं वे मूल रूप से भारतीय गुजरात प्रदेश से आते हैं मेरी सदिच्छा को मूर्त रूप दिया हिंदी -सम्मलेन का दायित्व संम्भाल रहे विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव सरदार एम पी सिंह जी भी अपना कीमती वक्त निकाल कर उस पवित्र गुरूद्वारे का दर्शन करने पहुंचे मैं और डॉ डी एन शर्मा जी सरदार आर पी सिंह ने बड़े श्रद्धा भाव से कथा -कीर्तन उपरांत संगत के साथ गुरु-घर का प्रसाद पवित्र लंगर छक निहाल हुए
मारीशस में मूल सिक्ख बसिदों [ परिवार की ]संख्या मात्र लगभग पच्चीस ही है परन्तु उनका योगदान मारीशस की खुशहाली,तरक्की में किसी से कमतर नहीं है शिक्षा ,सुरक्षा व्यापार में उनका उल्लेखनीय योगदान समर्पण है मारीशस के पडोसी मुल्क यथा कीनिया,फिजी सूरीनाम आदि के सिख पंजाबी अनुयायीयों के सहयोग से मारीशस में एक मेडिकल कालेज की स्थापना की गयी है,जो मारीशस के चिकित्सा क्षेत्र निरोग जीवन में नया आयाम साबित हो रहा है, जिसमें अन्य मुल्कों से छात्र अध्ययन करने आते हैं।
मारीशस खेल जगत में भी इस धर्मावलम्बियों का महत्व पूर्ण योगदान मिल रहा है। सरदार पी जे सिंह अहलुवालिया ने मारीशस क्रिकेट के कप्तान पद को भी सुसोभित किया है ,आशा है शीघ्र ही मारीशस क्रिकेट विश्व क्रिकेट में अपनी प्रतिभागिता दर्ज कराएगा ,मेरी बहुत बहुत शुभकामनाएँ मारीशस क्रिकेट प्रेमियों को  
उस सुदूर एक अभिशापित देश को सुन्दर देश बनाने में भारतीयों का ही अप्रतिम योगदान देख तन मन पुलकित हो उठता है ,भाषा ,संस्कृति ,संस्कार वहा मुखर हो उठा है जी रहा है अपना देश अपने उच्चतम भावों को ,अपनी माटी की महक गर्दिशी ,मुफलिसी, जुल्मों सितम को बहुत दूर कहीं गह्वर में तिलांजलि दे गुलजार हो उठी है ।तमाम गतिरोधों के बाद भी प्रखरता अपने गंतव्य को प्राप्त कर रही है शिखर छुए अपने देश की सास्वत प्रेम भरी राग ,सास्वत प्रवाह प्रेम अनुराग समर्पण मानवता को नए आयाम मिलें अपनी सद्दभावना शुभकामनाओं के साथ ...
ह्रदय से आभारी हैं , ग्यानी जी सरदार निर्मल सिंह जी का , श्री जगदीश नायक जी ,सरदार ऍम पी सिंह अन्य मानयोग पंथ सेवियों,श्रद्धालुओं का
उदय वीर सिंह





शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

बुलबुल की शराफत शाहीन कह रही है ....

आसमान की कहानी ये जमीन कह रही है
परवाज की कहानी वो परवीन कह रही है -
नकाबों में कौन क्या है जो चाहोगे जानना 
बड़ी सिद्दत से दासताँ को नाजनीन कह रही है
कितना है फिक्रमंद सफ़ीने का सोया माझी
उसकी जेब में रखी हई अफीम कह रही है - 

कितना अजीब है की वो दर्द कह न पाई 
बुलबुल की शराफत को शाहीन कह रही है -
उदय वीर सिंह

रविवार, 13 जनवरी 2019

·साहिबे कमाल गुरु गोबिंद सिंह


·साहिबे कमाल गुरु गोबिंद सिंह  
गुरु- पर्व की [दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जयंती ] की समस्त मानव जाति को लख लख बधाई .... 
गुरु गोबिंद सिंह - एक अतुलनीय अविस्वसनीय अकल्पनीय युग ,एक विचार ,एक क्रांति ,एक गुरु ,एक अध्येता ......सर्वोपरि एक जीवन-आधार ...
गुरु गोबिंद सिंह एक पयोधि....अगर एक बूंद के भी हम हकदार हो पाए जीवन अमर हो जाता है ..
- कुछ संक्षिप्त अनमोल जीवन-सार , सूत्र-वाक्य युग-दर्शन बने केवल एक पंथ,एक देश ,एक सीमा ,एक समुदाय ,एक भाषा वरन समस्त मानव-जाति के लिए .... 
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उपजिया वीर अगम्मड़ा वरियाम अकेला 
वाह वाह गोबिंद सिंह आपे गुरु -चेला -
-मानुष की जाति सब एकै पछानिबो ...
- किरत करना मिल बांट कर रहना 
- सत्य संकल्प और ईमान पर अडिग रहना 
- अपनी आय का एश समाज हित दसवां हिस्सा दान में देना 
- बाणी सुमिरन जीवन सार ... 
किरत में दरीदार [ कोतहाई ] नहीं करना ,अपना सर्वोत्तम देना 
- धन, जवानी,कुल जाति का निषेध 
- साम दाम दंड भेद विफल होने पर ही युद्ध आरंभन 
- और यदि युद्ध करना ही पड़े तब - विजय सुनिश्चित करना 
" जब जाई लरौं आरी सों रण में निश्चय कर अपनी जीत करो "
- किसी की निंदा ,चुगली और इर्ष्या भाव निषेध 
- परदेशी, जरुरतमंदो, अपंगों असहाय, मजलूमों ,पीड़ितों की दरिया दिल हो मदद करनी 
- बचन का पालन जीवन पर्यंत सुनिश्चित करना 
- अस्त्र-सस्त्र ,शास्त्र में पारंगत होना
- मद्य [नशा ] निषेध का अनुसरण करना
- डरना और किसी को डराना 
-और अरदास [संकल्प ] करके पीछे कभी मुड़ना स्वीकार्य नहीं ...
उपरोक्त तत्वों का आलोक ही सिक्खी जीवन का मूल तत्व है जिसे उस विकृत- दौर [आक्रान्ता विदेशी काल ] में केवल एशियाई प्रक्षेत्र वरन सम्पूर्ण विश्व के मुख्य धर्मों राजनीतिक पुरोधाओं द्वारा दशमेश पिता के दर्शन को संतुति ही नहीं अपार पूर्ण स्वीकृति मिली
देशी राजाओं ,शंकराचार्यों, धर्म वेत्ताओं ,स्वामी विवेकानंद दयानन्द सरस्वती आदि अनन्य राजनीतिग्यों महात्मा गाँधी ज्योतिबा फुले मदन मोहन मालवीय, पंडित नेहरू ,बल्लभ भाई पटेल,विनोव भावे आदि .. ही नहीं अनेकों विदेशी राजनीतिज्ञों धर्मावलम्बियों, रुसी अमेरिकी ब्रितानी,राष्ट्राध्यक्षों यथा रानी विक्टोरिया ,विल्सन,चर्चिल मार्गरेट थैचर बिल क्लिंटन,बराक ओबामा आदि ... 
सन्दर्भ पुस्तक -excellence of Sikhism -डॉ सरूप सिंह
* दशम पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के रचना-ग्रन्थ -
-दशम ग्रन्थ ,जाप साहिब ,अकाल उस्तत,बचित्र नाटक ,
-चण्डी चरित्र ,शास्त्र नाम माला, अथ पख्याँ चरित्र लिख्यते ,ज़फ़रनामा : [मुगल शासक औरंगजेब के नाम पत्र।]
-खालसा महिमा : खालसा की परिभाषा और खालसा के कृतित्व।
' कहूँ अबकी कहूँ तबकी ,ना होते गुरु गोबिंद सिंह तो सुन्नत होती सबकी' - पीर बुल्ले शाह
** एक नहीं ,कई जन्म नहीं 
हर जन्म मिले तेरे आँगन 
तेरी राह चलूँ यह बल देना 
चिर -विश्राम मिले तेरे आँगन -
उदय वीर सिंह