घर -बार लेके जाएगा......✍️
लगता तूफ़ान घर बार लेके जाएगा।
खेत खलिहान व व्यापार लेके जाएगा।
आयी दरार एक आंगन की भीत में,
ईद व दिवाली का त्योहार लेके जाएगा।
टूटे न टूटा कभी मौसम की मार से,
दिल में संजोया ऐतबार लेके लाएगा।
रंगे- बिरंगे, गुल, गुलशन में आये थे,
नोच-नोच शाखों से बहार लेके जाएगा।
रूठते मनाते भाई दुःख सुख सहते थे,
देके आघात दिल से प्यार लेके जाएगा।
रूखी- सुखी दाल- रोटी खाते पकाते थे,
देके बेबस लाचारी रोजगार लेके जाएगा।
उदय वीर सिंह।