प्रणाम !
हो स्वीकार !
सतत लीन, सेवा में ,बाँटने को प्यार /
तलाशता ठौर ,देने को सलाह ,
मैं सेवक !
राजनीती का ,समाज का ,मानव मात्र का ,
समझ लीजिये यों --
हम आपके ! हैं कौन ?
सेवक , बिन पगार का ------------
देता हूँ सेवा ,बिन बुलाये पहुंचता हूँ ,वक्त बे-वक्त ,
विभाग हैं मेरे पास अन्नंत !
मुख्यतः -----
भ्रस्टाचार ,व्यभिचार ,कदाचार ,अत्याचार ------
मूलतः दूर रहता हूँ ,सभ्याचार से /
यह क्षेत्र महफूज नहीं ,चुम्बकीय होता है /
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करता हूँ सहयोग विकास में ,
मध्यस्थता कर देता हूँ ,अफसर ,ठेकेदार में ,
दोनों का प्रिय ,मिलता है अनन्य सहयोग ,दोनों से /
नादान , नशा-खोर ,अभिजात्य बच्चे ,भटक जाते हैं ,पकडे जाते हैं ,
होटलों में ,बारों में ,कोमल हृदय ,
मध्यस्थता कर ही देता हूँ ,रक्षकों ,संरक्षकों , संचालकों में ,
मिलता है , प्रेम अनन्य उनसे /
सुई से लेकर जहाज ,सब उपलब्ध ,बिन प्रयास /
स्कूटर से भैंस , जाती बिहार ,
पैसेंजर ट्रेन ढोए मॉल ,क्या कमाल !
आबंटन प्लाट का ! आवास का /
३-जी स्पेक्ट्रम ,खाद्य , पी.यफ , दूर- संचार ,
खेलों में खेल! रेल , रक्षा ,में तेल !
--का रिसाव हो गया /-----
दुखद !
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सेवक उपलब्ध ,
सफाई आवश्यक /
क्या होता ! इस देश का रे बाबा ! सेवक जो ना होते ?
बढ़ता अत्याचार ,नौकरशाह, बे- लगाम !
पुलिस परेशान ,उजागर में नहीं , छिपाने में ,
हत्या , बलत्कार ,गबन ,
केस होते दफ़न !
नौकरशाह -शहंशाह ,अकूत संपत्ति का मालिक ,
कर ,देते हैं / करते हैं मुझे उपकृत ------
क्यों कि !
जनता हूँ राज उनका ,सेवक जो ठहरा !
कोई आचार ,बिन मेरे ,होगा न विकसित /----
------ सेवार्थ, निवेदन आपकी सेवा में ----
कोई नियम ,उपनियम ,सेवक को स्वीकार्य नहीं !
कोई कर गया कोशिश अगर ,----
हड़ताल ,जाम ,आन्दोलन ,हिंसा भी स्वीकार्य !
विज्ञप्ति प्रकाशित होगी -----क्षमा !" प्रतिक्रिया -वस् हो गया " ,
मेरा अपमान ,बंधन ! नहीं सह पाती ,मेरी प्यारी जनता /
करूँगा प्रार्थना , शांति की , शंयम की उनसे -----
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परिपक्व पेड़ को काट , बनाने को मकान ,
मांगी थी परमिट ,एक साल पहले /
आज तक प्रतीक्षा-रत !
गया सेवक के पास ,
प्राप्त हो गयी अनुमति दुसरे दिन ,
उनके आश्रम हेतु ,दो दरवाजे की शर्त पर /
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जिन करों ने , ना किया श्रम ,करते रहे सेवा , आजीवन !
बिडम्बना !
आज के सेवक- कितने बड़े स्वामी !
पगार देखो !
महल - अटार देखो !
महँगी कार देखो!
अर्थ -संसार देखो!
आम- जन का सेवक ,वी.आई. पी. संसार !
हर यक्ष प्रश्न से दूर ,
चुनौती !
कहाँ है हमारा , नीति-निर्धारक तंत्र ?
कितना सुरक्षित लोकतंत्र !
उदय वीर सिंह
१४/११/२०१०