शनिवार, 31 जनवरी 2015

अच्छा कहा -

हमने हर नजर, हर शख्श हर बज़्म
हर नज्म को अच्छा कहा -

गुजर गया, जो जा रहा अपने सफर 
हर मुसाफिर को अच्छा कहा -

ढ़ो लिया वजन अपने साथ ही औरों का 
समझदारों ने बच्चा कहा -

सच बोलता रहा ताउम्र ,झूठ ही माना गया
जब किया फरेब सबने सच्चा कहा -


जमाने की बात है जमाने से पूछिए ,
शराफत को जफा कहा ,कभी वफ़ा कहा -

उदय वीर सिंह  


गुरुवार, 29 जनवरी 2015

छल से दूर निश्छल तो है

मेरे  कर  मिट्टी  का घट  है 
पर अमृत से संतृप्त सुघर
घट कनक तुम्हारे हाथों मेँ
विष विद्वेष से छलके भरकर -
मेरी वाणी  में मधु नहीं है 
छल  से दूर निश्छल तो है 
अंतस में घात मुस्कान अधर 
मन मैला तन सुंदर सुंदर -
तेरे पथ में बिता जीवन 
रही प्रतीक्षा अथक निरंतर 
तक गंतव्य द्विप्त दीप था 
तू छोड़ चला बनकर  रहबर -

उदय वीर सिंहमेरे कर मिट्टी का घट है
पर अमृत से संतृप्त सुघर
घट कनक तुम्हारे हाथों मेँ
विष विद्वेष से छलके भरकर -
मेरी वाणी में मधु नहीं है 
छल से दूर निश्छल तो है
अंतस में घात मुस्कान अधर
मन मैला तन सुंदर सुंदर -
तेरे पथ में बिता जीवन
रही प्रतीक्षा अथक निरंतर
तक गंतव्य द्विप्त दीप था
तू छोड़ चला बनकर रहबर -
उदय वीर सिंह

सोमवार, 26 जनवरी 2015

लौ ,पिघल गए पत्थर भी

       तेरा   नाम  ऊँचा  है , तेरा मुकाम ऊँचा है
                दिल में रहने वाले तेरा वलिदान ऊँचा है
                तेरे इंकलाव की लौ ,पिघल गए पत्थर भी
                भूल सकते हम कभी, हिंदुस्तान ऊँचा है-
                तू नहीं  है फिर भी रहबर है हमारी राहों में
                किसी पाक  किताब  से तेरा पैगाम ऊँचा है -
                तूनें कहा था हस्ती रहेगी सितमगर तेरा
                हर सूरत में किसी शैतान से इंसान ऊँचा है -

                                                  उदय वीर सिंह
                
                  

   

अभिशप्त नहीं मधुवंती अब ..



कुछ ख्वाब हकीकत बन चले
कुछ ख्वाब  हकीकत  होने हैं-
हैं  सरफ़रोशों  के वारिस  हम
कुछ ख्वाब  अभी  भी बोने हैं -

अभिशप्त  नहीं मधुवंती अब
सौभाग्य भरा दिनमान मिला
हतभाग्य तिरोहित वसुधा से
सृजन - सौभाग्य  सँजोने   हैं-

उदय वीर सिंह

रविवार, 25 जनवरी 2015

कलम ने कहा रोशनाई नहीं है -




कुर्ते का पैबंद ,कहे क्या कहे 
शिगाफों से कोना कोई खाली नहीं है -

अँधेरों की दहशत घरों में समाई

होली तो होली दिवाली नहीं है - 

पैरों की विबाई मुकद्दर को ढूँढे ,
कलम ने कहा रोशनाई नहीं है -

रोटी की हिफाजत करता वो कैसे
बड़ी भूख से कोई गाली नहीं है -

शहंशाहों से उत्तर की आशा भी कैसे
चलो माना कोई सवाली नहीं है -

उदय वीर सिंह

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

आवेदन भी है


गीतों के श्री आँगन में प्रेम भी है
श्रिंगार भी है, वेदन भी है -
स्मृतियों के सुंदरवन स्नेह भी है
आभार भी है,संवेदन भी है -
स्नेह के कुंज में शांति शुलभ
विनय भी है, आवेदन भी है -
हो सहयोग क्षितिज का आलंबन
विश्वास भी है प्रतिवेदन भी है -
संकल्प हृदय का आभूषण है
वर प्रज्ञा का निकेतन भी है -
पीर के मर्म में वत्सलता धीर भी है
नीर भी है अतिरंजन भी है -

उदय वीर सिंह 




      
        

बुधवार, 21 जनवरी 2015

प्रतिदर्शों में उदय ...


अभिलाषा न रही ढलना 
प्रतिदर्शों में उदय -
प्रतिवाद न पाऊँ स्वप्नों में 
किसी संदर्भों में उदय -
विपुल प्रमाद तिरोहित हो 
कहीं विमर्शों में उदय -
चराचर का विष भी चाहूँ तो ,
किसी के उत्कर्षों में उदय -
पद चिन्ह प्रलेख बनते जाएँ
जीवन आदर्शों में उदय -
समिधा का स्वरूप अकिंचन को
ये जन्म सफल कई अर्थों में उदय-

उदय वीर सिंह  

शनिवार, 10 जनवरी 2015

स्पंदन अशेष


न रोक नैन के अश्कों को
बह जाते हैं ,बह जाने दे -
वे मौन हुए निःशब्द सही
कुछ कहते हैं कह जाने दे -
पीड़ा के पाँव गतिशील हुए
चुपचाप ढले, ढल जाने दे -
कुछ आँचल,कुछ अंचला को
संवेग सलिल नम जाने दे -
कथा व्यथा का पर्ण- कुटीर
स्पंदन अशेष बन जाने दे -
हर पथ का विचलन भावी है
राही को निज राह बनाने दे -

उदय वीर सिंह

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

मधुबन के गीत कहाँ लिखता -


बासिन्दा पतझड़ का 
मधुबन के गीत कहाँ लिखता -
जो चाँद के गाँव में रहता है 
सूरज को मीत कहाँ लिखता -


दिल रूठ गया हो अपनों से 
झूठी प्रीत कहाँ लिखता - 
जब सूख गया आँखों का पानी
फिर निर्झर नेह कहाँ बहता -

विष नद- नाले बहुत मिले,
पीयूष का घूंट कहाँ मिलता -
वैराग्य द्वेष का अवगाहन 
सच्चा मनमीत कहाँ मिलता -

उदय वीर सिंह 
  

शुक्रवार, 2 जनवरी 2015

पूज्य भारत


स्मृतियों में बीता वर्ष [2014].....नूतन वर्ष [ 2015 ] का स्वागत अभिनन्दन ,,,
****
आओ कसम खाएं-
अखंड भारत
स्वच्छ भारत 
स्वस्थ भारत
सम्पन्न भारत
समर्थ भारत
विद्वत भारत
अमूल्य भारत
अतुल्य भारत
अदम्य भारत
अभेद्य भारत
अजेय भारत
सर्वोपरि ,
पूज्य भारत को
गौरव गतिमान अक्षुण रखने की ।