दीप जले त..म गया गया...
हर घरों को मिले रोशनी कम न हो।हो हृदय में उजाला नयन नम न हो।
पूछते हैं नहीं दीप तुम कौन हो,
हर चौखट पर जलते नमन कम न हो।
ऊंचे प्रतिमान पग प्रेम की वल्लरी,
प्रकाशित हो कण-कण कहीं तम न हो।
आस सबकी पूरे ,गर्व गरिमा मिले,
लोक -विध्वंस जाए सृंजन कम न हो।
भव्य आलोक की काव्य-धारा प्रखर,
रस -रजे भाव से जी जतन कम न हो।
उदय वीर सिंह।
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति वीर जी।दीपोत्सव पर आपको भी सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🎊🎊🎉🎉🎀🎀🎁🎁🌺🌺♥️🌹🙏
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