सुनाऊंगा वही दिल में सदायें आप जैसी हैं।
किया वापस वही हमने वफ़ाएँ आप जैसी हैं।
क्या हासिल हुआ उनको हमें मालूम नहीं भाई,
उनकी शान में मांगी दुआएं आप जैसी हैं।
जो हमको मिला उनको दिया वो फर्ज था मेरा,
बिना तरमीम के सौंपा फ़िजाएँ आप जैसी हैं।
बहुत तकसीम से हमने चुना हैआपका तोहफा,
पोशीदा है नहीं कुछ भी सजाएं आप जैसी हैं।
उदय वीर सिंह।
6।12।22
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