शनिवार, 12 अगस्त 2017

मरना मेरे नसीब में जीना तेरे नसीब में है -

दोस्तों इसे किसी जाती जिंदगी या तंजीम से मत जोड़ देखना -
इसे ईत्तेफाक कहें या साजिश वीर
मरना मेरे नसीब में जीना तेरे नसीब में है -
ले इंसानियत की चादर अमन की बात करता हूँ 
मेरा नाम सबसे उपर सतरे रकीब में है
धो लेता हूँ घाव आंसुओ से सब्र से सील कर
इत्तेफाक है या साजिश मेरी गर्दन करीब में है
मैं बंधा हूँ कर्तव्य शपथ संस्कारों की गांठ
तूँ मुकर के भी ऊपर सतरे रफीक में है -
फाँकों में बसर होता है रखा अमीरों की सूची में
शाही जिंदगी का मालिक तूँ सतरे गरीब में है -
उदयवीर सिंह

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