गुरुवार, 28 मार्च 2024

बाहर लेके जाएगा...✍️






 घर -बार लेके जाएगा......✍️

लगता  तूफ़ान  घर बार लेके जाएगा।

खेत खलिहान व व्यापार लेके जाएगा।

आयी  दरार  एक  आंगन की भीत में,

ईद व दिवाली का त्योहार लेके जाएगा।

टूटे  न  टूटा  कभी  मौसम की मार से,

दिल में संजोया  ऐतबार  लेके लाएगा।

रंगे- बिरंगे,  गुल, गुलशन  में  आये थे, 

नोच-नोच शाखों से बहार लेके जाएगा।

रूठते  मनाते  भाई दुःख सुख सहते थे,

देके आघात दिल से प्यार लेके जाएगा।

रूखी- सुखी दाल- रोटी खाते पकाते थे,

देके बेबस लाचारी रोजगार लेके जाएगा।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: