सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

मसीहाई जुबान का शहजादा...


 






मसीहाई जुबान का शहजादा...

बहुत गुरुर था सल्तनत का उसे जमाना  निगल गया।

ली थी शराफत की जिम्मेदारी दीवाना निकल गया।

मालूम है कैफ़ियत जहां वालों को फिर भी दाद देते हैं,

सच मान लिया था जिसको वो फ़साना निकल गया।

सिजदे में रहा ता-उम्र भरोषा था उसकी दरो दीवार का,

गया था इंसाफ-घर समझ वो मयख़ाना निकल गया।

मसीहाई जुबान का शहजादा दे सपनों की सल्तनत,

फिर लौट कर नहीं आया, जमाना निकल गया

उदय वीर सिंह।