मित्रों ! कोलम्बो [श्रीलंका ]से वापसी के बाद आप से रुबरु हूँ |
मधुर स्वप्निल यादों को समेटे आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन की सफलता के लिए प्रायोजकों, हिंदी- सेवियों , भारत सरकार अवं अन्य चेतनशील भाषा विज्ञों का बहुत बहुत आभार ,एवं बधाईयां |
मेरी प्रतीक्षित काव्य श्रंखला में पुस्तक " मधु पर्ण " का विमोचन मेरे लिए सौभाग्य का विषय है |,श्री लंका में भारतीय राजदूत माननीय विनोद पी हँसकमल द्वारा विमोचन व हिंदी के ख्यातिलव्ध विद्वान श्री खगेन्द्र ठाकुर द्वारा " पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय सम्मान " प्राप्त कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ ,इसका श्रेय
आप सभी सुधि मित्रों पाठकों व शुभचिंतकों को जाता है ,हृदय की गहराईयों से आप सबका आभार व्यक्त करता हूँ |
बहा लोगे अश्क तो क्या दर्द का
सिलसिला ख़त्म हो जायेगा -
बहाते हैं सियासतदां अक्सर ,क्या राह
उनकी चल पायेगा -
मधुर स्वप्निल यादों को समेटे आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन की सफलता के लिए प्रायोजकों, हिंदी- सेवियों , भारत सरकार अवं अन्य चेतनशील भाषा विज्ञों का बहुत बहुत आभार ,एवं बधाईयां |
मेरी प्रतीक्षित काव्य श्रंखला में पुस्तक " मधु पर्ण " का विमोचन मेरे लिए सौभाग्य का विषय है |,श्री लंका में भारतीय राजदूत माननीय विनोद पी हँसकमल द्वारा विमोचन व हिंदी के ख्यातिलव्ध विद्वान श्री खगेन्द्र ठाकुर द्वारा " पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय सम्मान " प्राप्त कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ ,इसका श्रेय
आप सभी सुधि मित्रों पाठकों व शुभचिंतकों को जाता है ,हृदय की गहराईयों से आप सबका आभार व्यक्त करता हूँ |
बहा लोगे अश्क तो क्या दर्द का
सिलसिला ख़त्म हो जायेगा -
बहाते हैं सियासतदां अक्सर ,क्या राह
उनकी चल पायेगा -
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अपने घर के उजाले को कम न करो
मेरे घर का अँधेरा बढ़ाओ नहीं-
दो कदम प्यार के चल सको तो चलो
कुफ्र के रास्ते आजमाओ नहीं
कल सवेरा यकीनन तो होगा उदय
बदले दीप के घर जलाओ नहीं -
तेरे शहरों में सावन बरसता रहे
मेरी गलियों में सहरा बसाओ नहीं -
2 टिप्पणियां:
आपको शत शत शुभकामनायें, इस उपलब्धि के लिये।
उम्दा रचना |
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