शनिवार, 31 जुलाई 2021

प्रवक्ता आप हो गए...

 

बंद कर मेरी जुबान,मेरे प्रवक्ता आप हो गए।
मैं घर का मुखिया था,और सत्ता आप हो गए।
मुंसिफ सुनना चाहता था मेरी आप बीती,
मैं सुनाता दर्द कि मेरे अधिवक्ता आप हो गए।
कोई रोये भी तो आप से पूछ वरनाअपराध
मैं चेतन से जड़ हुआ,विधि-वेत्ता आप हो गए।
भूख बलात्कार माबलिंचिंग,पीड़त आपका शत्रु
वीजेता पक्ष का हरावल दस्ता आप हो गए।
उदय वीर सिंह।