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अहसानमंद हैं हम अंधेरों का,
चिरागों को पहचान देते हैं।
उन कदमों का दर शुक्रिया,
जो मंजिलों के निशान देते हैं।
वो दिल मिटा अपना वजूद,
जमीन आसमान देते हैं।
वो आंखें देकर अपनी जोत,
दूसरों को रोशन जहान देते हैं।
उन ज़ख्मों का लख शुक्रिया
जीने को पायदान देते हैं।
अहसान उन फलसफ़ों का,
जो जमाने को इंसान देते हैं।
उदय वीर सिंह
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