सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

शब की गुफाओं में ...









 
......✍️

वक्त भी ख़ुदा होना चाहता था गुजर गया।

पत्थर होना चाहता  था मगर  बिखर गया।

उगा सूरज  बदगुमां  था कि वो डूबेगा नहीं,

शब की कहीं अंधेरी गुफाओं में उतर गया।

हंसता  रहा  मासूम  बस्तियों को बर्बाद कर,

बेअन्दाज़ तूफान  भी किश्तों में उजड़ गया।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: