मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

रुई की फसल ....


 








रुई की फसल ....✍️

बाजार  खुला  है व्यापार  कर लो।

जो  कृपा  चाहिए  दरबार  कर लो।

सच दफ़न करने का हुनर मालूम है,

मगर झूठ पर थोड़ा ऐतबार कर लो।

जमीन बिकाऊ है खरीद लो बेच लो,

रुई की फसल,सेब की पैदावार कर लो।

खून व पसीना बहाने की जरूरत क्या,

अगर  पूंजी  नहीं  है उधार  कर  लो।

सुना  सच  की  गायकी  में आनंद नहीं,

आनंद में होगे झूठ को नमस्कार कर लो।

उदय वीर सिंह।

कोई टिप्पणी नहीं: