इस ज़माने ने दी हमको रुसवाईयाँ ,
पर ज़माने को हम, प्यार करते रहे **
छोड़ आये थे शाहिल बहुत दूर हम ,
कश्तियाँ उनको दे, हम भंवर में रहे **
हमने चाहा ख़ुशी , पाई दुश्वारियां ,
राह शोलों की हम, फीर भी चलते रहे **
हम से डरता रहा हर ज़माने का गम ,
हम तो खुशियों की ,आहट से डरते रहें **
राह -ए-जख्मों से हमको नहीं है गिला ,
उनके दर से हमेशा गुजरते रहे **
पत्थरों से मुझे इश्क हो ही गया ,
उदय हर कदम साथ मिलते रहे **
उदय वीर सिंह
राह -ए-जख्मों से हमको नहीं है गिला ,
उनके दर से हमेशा गुजरते रहे **
पत्थरों से मुझे इश्क हो ही गया ,
उदय हर कदम साथ मिलते रहे **
उदय वीर सिंह
7 टिप्पणियां:
छोड़ आये थे शाहिल बहुत दूर हम ,
कश्तियाँ उनको दे हम भंवर में रहे bhaut hi sundar gazal....
शानदार प्रस्तुति |
बहुत-बहुत आभार ||
@हम से डरता रहा हर ज़माने का गम ,
हम तो खुशियों की ,आहट से डरते रहें
वाह!
वाह ...बहुत ही बढि़या ।
हम से डरता रहा हर ज़माने का गम ,
हम तो खुशियों की ,आहट से डरते रहें **
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..आभार
हम से डरता रहा हर ज़माने का गम ,
हम तो खुशियों की ,आहट से डरते रहें
सुन्दर शब्द चयन और भाषा. बेहतरीन प्रस्तुति
kya sher hain sar ... lajawaab ...
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