खड़े हैं शान से , गुरुर है की हम चलते नहीं .
फासले कायम है , न वो आये न हम आये -
रोक हवाओं को ,पयाम देना कि हम भी अच्छे हैं ,
अन्दर आग का दरिया , ऊपर सर्द मंजर है -
हवाओं का सर्द होना उनके कूचे को बयां करता है
नमीं इतनी की शोला भी लगे शबनम की तरह -
थोडा खार भी होना ,बदकार वो मक्कार भी होना
मंजूर है तेरी सोहबत , नामंजूर है खुदा होना -
रुखसार दा आलम , समाता नहीं वरक बिच,
जिंदगी है की , मुहल्लत नहीं देती- .
हुश्न की आग में न पूछो जले कितने ताज ,
हुश्न कायम रहा , किस्मत बदलती रही -
गैरों की शिफत कि , अपना बनाने निकले ,
वरना अपने ही रुखसत होते हैं, कुचे - यार से-
उदय वीर सिंह
11 टिप्पणियां:
बेहतरीन बहुत सुन्दर
(अरुन =arunsblog.in)
गैरों की शिफत की , अपना बनाने निकले ,
वरना अपने ही रुखसत होते हैं, कुचे - यार से-
gambheer shayari ..
bahut achchhi lagi ...
shubhkamnayen ...
हुश्न की आग में न पूछो जले कितने ताज ,
हुश्न कायम रहा ,किस्मत बदलती रही -
वाह ,,,, क्या बात है,,,सुंदर नज्म ,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
मन के भावों की सुनहरी छिटकन।
हवाओं का सर्द होना उनके कूचे को बयां करता है
नमीं इतनी की शोला भी लगे शबनम की तरह -,,,वाह: उदय जी बहुत सुन्दर नज्म...
खड़े हैं शान से , गुरुर है की हम चलते नहीं .
फासले कायम है , न वो आये न हम आये -
Many at times. it happens like that only....
.
bahut sundar sir....
थोडा खार भी होना ,बदकार वो मक्कार भी होना
मंजूर है तेरी सोहबत , नामंजूर है खुदा होना -
बहुत खूब
खड़े हैं शान से , गुरुर है की हम चलते नहीं .
फासले कायम है , न वो आये न हम आये -
वाह ... बहुत ही बढि़या।
ज़िंदगी के फ़लसफ़े हैं हज़ार,आपने समेटा है उन्हें बडे प्यार से.
ज़िंदगी के फ़लसफ़े हैं हज़ार,आपने समेटा है उन्हें बडे प्यार से.
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