जन्म लेती प्रीत अंतस
तब सृजन आकार लेता -
अद्दभुत प्रगल्भ कोपलों को
नव प्रखर आधार देता -
बिहँस उठता मान पियूष
पल मंजरी की गोंद में ,
चिर प्रतीक्षित सौंदर्य श्यामा
सौम्य नवल संसार देता -
उत्सव सहेजे अंक बसुधा
संज्ञान सलिला बह चले
हो निंमज्जित स्नेह - रस में
शुभ भाव - प्रवर आभार देता -
संवेदनाएं बांचती कथ
वेदन- पृष्ठ की हर पंक्तियाँ
लालित्य का प्रतिमान बांधे
शौर्य का अप्रतिम संसार देता
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
सुंदर प्रखर भाव एवं अभिव्यक्ति ...!
सृजन के सुन्दर भाव..
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