नहीं पाओगे सिर्फ एक ही है
हिन्दुस्तान मत बेचो
रह सकते हैं बगैर ताज के भी
ईमान मत बेचो
जर्रा जर्रा लाल है लहू से सींचा गया
वारिस हो वलिदानियों के
सम्मान मत बेचो -
जमीने जमीर से इंसानियत की
फसल होगी
तरस जाओगे प्यार के दो बोल को
इंसान मत बेचो -
फानी है जिंदगी तख्तो-ताज की
बात क्या
अपनी सियासती हवस में रामो-
रहमान मत बेचो -
उदय वीर सिंह
6 टिप्पणियां:
सटीक । सुंदर अभिव्यक्ति । देश पर रहम खाओ।
बीमारी बेचने की है
क्या करे लाचार है
वैसे भी किस से कहे कोई
लाशें खरीदने को भी
कोई है बैठा तैयार है।
बहुत सुंदर।
वाह
siyasatI havas me ramo Rahman mat becho ... सुंदर prastuti aur saty
siyasatI havas me ramo Rahman mat becho ... सुंदर prastuti aur saty
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