हौसले साथ हैं , हौसला चाहिए।
हौसलों के सिवा और क्या चाहिए।
ये है मौसम तेज़ाबी न भींगे कोई,
घोर विपदा में सबका भला चाहिए।
हाथ कमज़र्फ जिनके गिला क्या करें,
प्रीत दिल से रहे सिलसिला चाहिए।
रंक-राजा न पहचानती है वबा,
लोड़बन्दों को हर दर खुला चाहिए।
हर अंधेरे से जीतेगी इंसानियत,
हर चौखट पर दिया जला चाहिए।
उदय वीर सिंह।
2 टिप्पणियां:
अब हौसला छुटता जा रहा .... फिर भी हौसला ही चाहिए ...
आमीन
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