🙏🏼नमस्कार मित्रों!
आंधियां तौहीद की बिखरने लगे हैं लोग।
दी वस्ल कीआवाज बिछड़ने लगे हैं लोग।
मोहब्बत के खानसामे ताज़िर से हो गए,
बसने लगी है आग,उजड़ने लगे हैं लोग।
शहर के शहर हैं गहरी ख़ामोशियों की जद,
दहशतज़दा हैं गांव,सहमे हुए हैं लोग।
मसर्रत की इतनी बारिस पैमाल जिंदगी है,
नामंजूर इतनी खुशियां मरने लगे हैं लोग।
किसको पता है मंजिलआपस में पूछते हैं,
जाए किधर को काफ़िला ठहरे हुएहैं लोग।
उदय वीर सिंह।
1 टिप्पणी:
Thank you so much for sharing...Do you know about Himachal Pradesh?
Inspiring Dude
RPS
एक टिप्पणी भेजें