[भार्या ने कहा ,जा रहे हो ,तो कुछ आवश्यक सामान हैं ,हो सके तो लेते आना .......]
***
टूटे ख्वाब जोड़ देने का सामान लेते आना ,
मेरे आँगन में बरसे फूल वो आसमान लेते आना -
करुणा का संवेग , दया की
धारा का कलरव छम - छम ,
क्षमा प्रेम की ,मलय निरंतर
न्याय ,नम्रता ,लहराए परचम .
नाप सकें गहराई नभ की ,प्रतिमान लेते आना -
कंठ कोकिला बसती जाये ,
उज्वल प्रभा का सम्मलेन ,
नव -प्रभात खुशियों की वेला ,
प्रज्ञा , विवेक का हो मंचन
समवेत स्वरों का वाहक हो ,वह ज्ञान लेते आना -
करुणा का संवेग , दया की
धारा का कलरव छम - छम ,
क्षमा प्रेम की ,मलय निरंतर
न्याय ,नम्रता ,लहराए परचम .
नाप सकें गहराई नभ की ,प्रतिमान लेते आना -
कंठ कोकिला बसती जाये ,
उज्वल प्रभा का सम्मलेन ,
नव -प्रभात खुशियों की वेला ,
प्रज्ञा , विवेक का हो मंचन
समवेत स्वरों का वाहक हो ,वह ज्ञान लेते आना -
तम जाये गह्वर की ओर,
निलय रश्मियों से जग-मग हो ,
धरा हमारी कनक फले ,
प्रीत निराली हर पग- पग हो ,
मानव -मात्र का अनुशीलन ,पहचान लेते आना -
हिन्दू , मुस्लिम, शिख ईसाई ,
पथ - प्रकाश बनके चिराग ,
अप्रतिम सौन्दर्य के नक्षत्र बने ,
दिग- दिगंत हो बाग - बाग .
सुन सकेंगे प्यार से ,राग- हिंदुस्तान लेते आना -
उदय वीर सिंह .
हिन्दू , मुस्लिम, शिख ईसाई ,
पथ - प्रकाश बनके चिराग ,
अप्रतिम सौन्दर्य के नक्षत्र बने ,
दिग- दिगंत हो बाग - बाग .
सुन सकेंगे प्यार से ,राग- हिंदुस्तान लेते आना -
उदय वीर सिंह .
11 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया!
बहुत सुन्दर, बधाई
रवि को रविकर दे सजा, चर्चित चर्चा मंच
चाभी लेकर बाचिये, आकर्षक की-बंच ||
रविवार चर्चा-मंच 681
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
वाह गज़ब की प्रस्तुति।
टूटे ख्वाब जोड़ देने का सामान लेते आना ,
मेरे आँगन में बरसे फूल वो आसमान लेते आना -
....लाज़वाब! शब्दों और भावों का अद्भुत संयोजन...बधाई
बहुत सुन्दर शब्दों से मन के भावों को उकेरा है ..., बधाई..
वाह बहुत सुंदर कविता है उदयवीर जी
.
टूटे ख्वाब जोड़ देने का सामान लेते आना ,
मेरे आँगन में बरसे फूल वो आसमान लेते आना -
Great creation !...very appealing and inspiring.
.
वाह ... कितना मधुर गीत ... लयबद्ध .... मज़ा आ गया ...
सुन सकेंगे प्यार से ,राग- हिंदुस्तान लेते आना -
सुन्दर!
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