हाँ !
ये आजादी नहीं ,
सत्ता का हस्तांतरण था ,
शासकों का ,
काले -गोरे अंगरेजों का ,
लाभ -हानि का खेल ,
हित टकरा गए ,
खिंच गयीं शमशीरें
मारे गए निर्दोष ,जज्जबाती शेर ,
पिस गयी निरीह आवाम /
न समझ पाए षडयंत्र ,
सत्ता के दलालों का /
आजादी चीख बन कर दब गयी ..
अट्टहासों में ......../
मुक्त से उन्मुक्त हो गया
भय ,भूख ,अन्याय, शोषण
बंध कड़े हो गए ,
शिक्षा, समानता, मनुष्यता व विचार के /
क्या फर्क है ?
कल भी थी
दीनता , दैन्यता ,लाचारी ,
आज भी है ,
कल भी बिक रहे थे ,
पद ,प्रतिष्ठा ,बैजयंती ,
आज भी ..../
कल भी गुलाम थे ,
संसाधन ,मेधा ,पौरुष
आज भी ..../
रोटी कपड़ा मकान ,
सपना था ..
आज भी ...../
कल भी जा रहा था ,
वैभव ,भारत से दूर ,
आज भी बदस्तूर जारी है /
कल कफ़न नहीं था शहीदों को,
आज कोफीन में दलाली है../
कल भी सवाली था,
आज भी सवाली है.../
कल भी हाथ,
खाली था ,
आज भी खाली है ..../
देश पूछता है ,
किसकी होली ,
किसकी दीवाली है ......./
उदय वीर सिंह
19/08/2012
ये आजादी नहीं ,
सत्ता का हस्तांतरण था ,
शासकों का ,
काले -गोरे अंगरेजों का ,
लाभ -हानि का खेल ,
हित टकरा गए ,
खिंच गयीं शमशीरें
मारे गए निर्दोष ,जज्जबाती शेर ,
पिस गयी निरीह आवाम /
न समझ पाए षडयंत्र ,
सत्ता के दलालों का /
आजादी चीख बन कर दब गयी ..
अट्टहासों में ......../
मुक्त से उन्मुक्त हो गया
भय ,भूख ,अन्याय, शोषण
बंध कड़े हो गए ,
शिक्षा, समानता, मनुष्यता व विचार के /
क्या फर्क है ?
कल भी थी
दीनता , दैन्यता ,लाचारी ,
आज भी है ,
कल भी बिक रहे थे ,
पद ,प्रतिष्ठा ,बैजयंती ,
आज भी ..../
कल भी गुलाम थे ,
संसाधन ,मेधा ,पौरुष
आज भी ..../
रोटी कपड़ा मकान ,
सपना था ..
आज भी ...../
कल भी जा रहा था ,
वैभव ,भारत से दूर ,
आज भी बदस्तूर जारी है /
कल कफ़न नहीं था शहीदों को,
आज कोफीन में दलाली है../
कल भी सवाली था,
आज भी सवाली है.../
कल भी हाथ,
खाली था ,
आज भी खाली है ..../
देश पूछता है ,
किसकी होली ,
किसकी दीवाली है ......./
उदय वीर सिंह
19/08/2012
7 टिप्पणियां:
लगता है आजादी नही बल्कि सता का हस्तांतरण हो गया है,,,,
RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,
ईद मुबारक !
आप सभी को भाईचारे के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!
--
इस मुबारक मौके पर आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
गहन रचना....
विचारणीय पोस्ट...
सादर
अनु
कुछ नहीं बदला है, यही लगता है..
लगता तो यही है की बस हस्तांतरण ही था
पहले शायद अच्छा था
जो बताया जाता था
अपने घर को बेचने
पहले कोई नहीं जाता था !
बहुत सटीक.....
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