रविवार, 22 अप्रैल 2018

.... कैसे कह दोगे !

.... कैसे कह दोगे ! 
किसी के हक को ईमदाद कह दोगे 
किसी फरियाद को विवाद कह दोगे
जख्म से रिसते खून जलते वर्तमान को 
उदयआखिर कैसे इतिहास कह दोगे-
माना की जरूरत है मनोरंजन की तुम्हें
किसी के दर्द को परिहास कह दोगे
चुप हैं दहशत से भरी आंखे जिनकी
अपने इकतरफा बयान को संवाद कह दोगे -
बस न पाईं उजड़ी बस्तियाँ आज भी
शैलाब में डूबा मंजर आबाद कह दोगे
फुलझड़ियाँ कामयाबी की दस्तावेज़ नहीं
टिमटिमाते दीप को आफताब कह दोगे -
उदय वीर सिंह

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