वादों के रंग महल में बजती,वादों की शहनाई है,
दरिया व शाहिल वादों के वादों की नाव चलाई है -
आदर्शों के कद इतने ऊँचे हैं,छोटा लगे हिमालय
मुद्दों के दरवाजे सारे बंद ,हैं खुले हुए मदिरालय -
जो तोड़ सके न भेदों को ,वो तारे तोड़कर लायेंगे
मुट्ठी में अपनी सूरज रखते, थाली में चाँद दिखायेंगे -
राष्ट्र प्रेम की हल्दी घाटी, प्रताप सी सूरत गायब है
वतनपरस्ती ना-जायज , सत्ता सिंहासन जायज है -
उदय वीर सिंह
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