मंगलवार, 7 जनवरी 2020

हम इन्सान पहले .मजहबी बाद में ..


जिंदगी पहले है,जायका बाद में
पहले सिंदूर है, मायका बाद में-
हर युगों में रही पावनी प्रीत है
वफ़ा पहले है , बे-वफ़ा बाद में -
जिंदगानी हँसे ,जिंदगी दीजिये,
सच्चा सौदा है पहले नफ़ा बाद में-
गीत के मंच पर साज बजते रहें
पहले इन्सान हों मजहबी बाद में -
आरजू भूख को रोटियां चाहिए ,
पहले पूरे करो ,वायदा बाद में -
इस सफर में अनेकों कदम रखने हैं
मंजिलें पहले हैं अलविदा बाद में -
उदय वीर सिंर

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