माँगा नहीं मैंने , ख्वाबों की खुशबू ,
बिखर जायेंगे वादियों में कहीं --
लिखेंगे हम कैसे , दर्द - ए- फ़साना ,
कलम खो गयी , फासलों में कहीं--
जख्मों को सी, दर्द फ़ना तो न होते ,
नाम -हमनाम हैं , कातिलों में कहीं --
छोड़ शाहिल, समंदर में आना ही था ,
घर बना लेंगे हम आंधियों में कहीं --
शाने शबनम ,को मोती से क्या वास्ता ,
ये गुलों में पले ,वो सीपियों में कहीं --
क्या शिकायत करें ,अश्क से ,अक्स से ,
छोड़ जाते उदय , गर्दिशों में कहीं --
उदय वीर सिंह .
०७/०८/२०११
छोड़ शाहिल, समंदर में आना ही था ,
घर बना लेंगे हम आंधियों में कहीं --
शाने शबनम ,को मोती से क्या वास्ता ,
ये गुलों में पले ,वो सीपियों में कहीं --
क्या शिकायत करें ,अश्क से ,अक्स से ,
छोड़ जाते उदय , गर्दिशों में कहीं --
उदय वीर सिंह .
०७/०८/२०११
19 टिप्पणियां:
Sundar Bhawabhyakti..aabhar
छोड़ शाहिल, समंदर में आना ही था ,
घर बना लेंगे हम आंधियों में कहीं !
क्या ज़ज्बा है हुज़ूर का ....शुभकामनायें आपको !
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
अवगत कराइयेगा ।
http://tetalaa.blogspot.com/
कहाँ हम लिखेंगे , दर्द - ए- फ़साना ,
कलम खो गयी फासलों में कहीं--
जख्मों को सी, दर्द फ़ना तो न होते ,
नाम -हमनाम हैं , कातिलों में कहीं --
बहुत खूब ..अच्छी गज़ल
अच्छा लिखा है आपने
शाने शबनम ,को मोती से क्या वास्ता ,
ये गुलों में पले ,वो सीपियों में कहीं --
waah
अच्छी रचना है!
--
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत खूब होती है हमेशा ही आपकी प्रस्तुति.आज भी बेहतरीन है.शुभकामनायें
शाने शबनम ,को मोती से क्या वास्ता ,
ये गुलों में पले ,वो सीपियों में कहीं --
खुबसूरत पंक्तियाँ अर्थ समेटे हुए , अच्छी लगी , बधाई
bahut sunder likha hai ...
shabdon ka chayan bhi bahut khoobsoorat hai..!!
shubhkamnayen.
शाने शबनम ,को मोती से क्या वास्ता ,
ये गुलों में पले ,वो सीपियों में कहीं -
खुबसूरत पंक्तियाँ ....
अच्छी गज़ल !
अच्छी रचना है!
मित्रता दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
behtreen rachna....
मित्रता दिवस पर अच्छी पोस्ट...बधाई.
अच्छी रचना...
सादर...
छोड़ शाहिल, समंदर में आना ही था ,
घर बना लेंगे हम आंधियों में कहीं --
बेहद खूबसूरत शेर....
शानदार ग़ज़ल.....
bahut achche bhav se likhi shaandaar rachanaa.badhaai aapko.
"ब्लोगर्स मीट वीकली {३}" के मंच पर सभी ब्लोगर्स को जोड़ने के लिए एक प्रयास किया गया है /आप वहां आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। सोमवार ०८/०८/११ को
ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने ....
लिखेंगे हम कैसे , दर्द - ए- फ़साना ,
कलम खो गयी , फासलों में कहीं--
शाने शबनम ,को मोती से क्या वास्ता ,
ये गुलों में पले ,वो सीपियों में कहीं --
gazab kii panktiyan
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