मिला हो दर्द तुम्हें गम -ए -गुनाही का ,
गिला नहीं करते -
जले चिराग जलो वैसे यारा ,
लिए जजज्बात जला नहीं करते -
मिले जो साज मुकम्मल ,होठों को ,
सिला नहीं करते-
कसम जो खायी सदा निभाने की ,
निभाकर कहा नहीं करते -
अश्क आँखों से गिरे , जुदा होकर ,
मिला नहीं करते-
उदय वीर सिंह.
२८/११/२०११
गिला नहीं करते -
जले चिराग जलो वैसे यारा ,
लिए जजज्बात जला नहीं करते -
मिले जो साज मुकम्मल ,होठों को ,
सिला नहीं करते-
कसम जो खायी सदा निभाने की ,
निभाकर कहा नहीं करते -
अश्क आँखों से गिरे , जुदा होकर ,
मिला नहीं करते-
उदय वीर सिंह.
२८/११/२०११
10 टिप्पणियां:
जले चिराग जलो वैसे यारा ,
लिए जजज्बात जला नहीं करते -
बेबाक जज़्बात अच्छे हैं ...
मिले जो साज मुकम्मल ,होठों को ,
सिला नहीं करते-
आपकी वाणी में गजब का भाव
सम्प्रेषण सीधे दिल को छूता है.
उदय जी आप मेरे ब्लॉग पर आते रहे हैं.
मैं महीने में एक ही पोस्ट लिखता हूँ.
पिछले दो तीन महीने से आपने आना बंद किया हुआ है.आपको कई बार विनम्र आमंत्रण भी
दिया है.आपकी मेल मिली थी.जिसमें
आपने लिंक मांगीं थीं.मुझे पोस्टों का लिंक देना नही आता है.ब्लॉग का लिंक आपको प्रेषित किया था.फिर कर रहा हूँ.
http://ishwarkipehchan.blogspot.com
यदि मुझसे कोई गल्ती हुई हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ.
मुझे नही लगता कि आप जैसे महानुभाव मेरी किसी गल्ती के लिए क्षमा नही करेंगें.
आपका मेरे ब्लॉग पर न आना मुझे बहुत खलता है.आप प्रभु प्रेमी हैं,आशा है मेरी अभिलाषा पूर्ण करेंगें.
priya rakesh ji [big brother ] really I am extremely sorry. for some reason I was away for some week so ....../
regular i visit you ,dont mind sir .
जले चिराग जलो वैसे यारा ,
लिए जजज्बात जला नहीं करते -
अति सुन्दर, बधाई.
कसम जो खायी सदा निभाने की ,
निभाकर कहा नहीं करते -
बहुत खूब!
अश्क आँखों से गिरे , जुदा होकर ,
मिला नहीं करते- हुत खूब उदयवीर जी
खूबसूरत रचना ...कुछ अलग हट के
शुभकामनायें आपको !
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!यदि किसी ब्लॉग की कोई पोस्ट चर्चा मे ली गई होती है तो ब्लॉगव्यवस्थापक का यह नैतिक कर्तव्य होता है कि वह उसकी सूचना सम्बन्धित ब्लॉग के स्वामी को दे दें!
अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
अश्क आँखों से गिरे,
जुदा होकर,
मिला नहीं करते।
वाह, क्या बात है!
धर्म की हर किताबें , इलाही नजर ,
हम तो उनको भी साकी समझते रहे -....
Awesome !
.
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