राखी नजर खोलती है -
*****
आसमां डोलता है जमीं डोलती है
मेरे वीर की जब जुबां बोलती है -
नेह संकल्प का आईना मुस्कराए
एक प्यारी बहन की ख़ुशी बोलती है -
कच्चे धागों ने बाँधे हैं फौलाद को भी
जब अनमोल बंधन बहन बांधती है -
वचन है , वसन है , शमशीर समिधा
मान सम्मान खातिर चली है जली है-
जाति ,मजहब फिरकों से बहुत दूर धागे
भाई - बहना की राखी नजर खोलती है -
- उदय वीर सिंह.
*****
आसमां डोलता है जमीं डोलती है
मेरे वीर की जब जुबां बोलती है -
नेह संकल्प का आईना मुस्कराए
एक प्यारी बहन की ख़ुशी बोलती है -
कच्चे धागों ने बाँधे हैं फौलाद को भी
जब अनमोल बंधन बहन बांधती है -
वचन है , वसन है , शमशीर समिधा
मान सम्मान खातिर चली है जली है-
जाति ,मजहब फिरकों से बहुत दूर धागे
भाई - बहना की राखी नजर खोलती है -
- उदय वीर सिंह.
4 टिप्पणियां:
जाति ,मजहब फिरकों से बहुत दूर धागे
भाई - बहना की राखी नजर खोलती है -
बहुत सुन्दर!!!
बहुत सुंदर
सार्थक पहल
जाति ,मजहब फिरकों से बहुत दूर धागे
भाई - बहना की राखी नजर खोलती है -बहुत सुंदर
latest post नेताजी फ़िक्र ना करो!
latest post नेता उवाच !!!
रक्षा की पुकार सदा ही रही है, उसी आश्वासन का उत्सवीय प्रतिरूप है रक्षाबंधन।
एक टिप्पणी भेजें