मंगलवार, 3 जून 2014

बयान [स्टेटमेंट ]


    बयान [स्टेटमेंट ] 
                                            {एक लघु कथा }
उसे अंदर ले चलो ,स्टेटमेंट लेना होगा | महिला जज ने अर्दली प्रेम सिंह  को निर्देश दिया |
 चलो जी अंदर | अर्दली ने बाला को इशारे  से कहा |
अब अंदर सोफे पर जज साहिबा विराजमान थीं ,सामने पीड़िता | आरम्भ होता है बयान [स्टेटमेंट ]का सिलसिला |
 आप भी तो एक औरत हो मैडम जी ! आप कैसे मेरा स्टेमेंट [स्टेटमेंट ] लोगे  ? गांव से आई दुष्कर्म की शिकार बाला- {लालपरी} ने सिर के आँचल को सम्हालते हुए  महिला जज से नीर बहती आँखों, जज साहिबा के प्रश्न से पहले अपना शंसय भरा प्रश्न किया था |
 मैं समझी नहीं ? दस्तावेजों के मुताबिक तुम्हारा नाम लालपरी है न ? जज साहिबा ने चश्में को उतारते हुए  तिरछे देखते पूछा |
  जी ! मैडम मेरा नाम लालपरी  बापू का नाम भरत साह ,साकिम -खारगुन, तहसील - बेणी  थाना - मौना ,जिला-महबूब नगर | एक साँस में बोल गयी |
    हाँ सो तो ठीक है ,ये  सब दस्तावेजों में है | तूने कहा मैं भी औरत हूँ  इस लिए स्टेटमेंट नहीं ले सकती  जज साहिबा ने पुनः दोहराया |
 जी.. जी .. मैडम ! मुझे नहीं मालूम आप भी ..| हताश डरी लालपरी ने कहा |
लालपरी  ! डरो नहीं अपना बयान कलमवद्ध कराओ .स्टेटमेंट दो , हम तुम्हारे साथ हैं जज साहिबा ने
 रहस्यमयी स्थिति को कुछ समझते हुए कहा |
 मैडम बयान भी ले लो  स्टेमेंट  भी ले  लो |  पर अब  मैं स्टेमेंट देने लायक  नहीं  हूँ  सबने  लिया  स्टेमेंट  किसी  ने  नहीं  छोड़ा  जानवर  बन  गए  एक  मजबूर इंसान  के साथ, जांच के नाम  पर,  मुझे  निआउ  [इंसाफ  ] देने  के  नाम  पर  |
     मुझे  अब  जहर  दे  दो ,फांसी  दे  दो ,अब मत लो स्टेमेंट | अब  नहीं  जीना चाहती | तुम नहीं समझ  सकते  की  मेरे  माँ -बापू पर क्या  बीतती होगी ,मुझ पर क्या बीतती  है |
बापू रोता है कहता है- अब कौन थामेगा मेरी लालपरी का हाथ | ये लगा कलंक कहाँ मिटेगा अब   ...बिलबिला  उठी  थी  मेज  पर  सिर  रख  कर  लालपरी |
    जज  साहिबा  ने सम्हालते हुए एक गिलास पानी  अपने हाथों दे सच बताने का आग्रह किया  |
    मैडम  जी  ! मेरे  बापू  ने  माँ  की  दवाई  के  लिए गांव के ही हरी चंद से ब्याज पर पैसे लिए जो अभी चुकता नहीं हो सका   है | आठ हजार चुकता  करने के बाद भी उसका चार हजार ,चार साल में सोलह हजार हो गया
 | रोज पैसों के लिए  धमकाता  था | एक  दिन  माँ - बापू  खेत  में  थे ,शैतान ने मुझे अकेला देख मेरे साथ बुरा काम  किया और कहीं कहने पर मुझे व मेरे माँ- बापू को जान से मार देने की धमकी दे गया   |
   माँ के घर आने पर मैंने माँ से सारी आप बीती बताई | माँ  सन्न  रह  गयी |  माँ  ने  बापू  को मेरी दास्तान बताई   | मुझे ले माँ- बापू  सरपंच  के  पास  गए  |
  जाँच और स्टेमेंट  [बयान ]जरुरी  है, कह उसने अकेले एक कमरे में  लेजा स्टेमेंट लिया | थाने  पर वह हम लोगों को साथ ले गया,वहां  मुंशी , दिवान से सरपंच ने कुछ बात किया और चला आया | थाने में मुंशी, दिवान व दरोगा ने  स्टेमेंट लिया, तमाम शर्मनाक सवाल- जबाब करते रहे,  इसे जाँच व कार्यवाही समझ हम चुप-चाप  इसे सहते रहे ,की  न्याय  मिलेगा ,दोषी को सजा मिलेगी |
     हद तब  हो गयी अस्पताल  गए  वहां  भी कम्पाउण्डर  व  डाक्टर  ने स्टेमेंट लिया | कैसे - कैसे जाँच किया  बताना मुश्किल ।
   हम क्या करें कहाँ जाये | जो काम उस सूदखोर ने किया वही स्टेमेंट के नाम पर सभी ने किया  ... | मैडम अब मेरी शरीर और आत्मा साथ नहीं देते  .. .फफक कर रो पड़ी थी बाला लालपरी |
   बाहर मौसम में नमीं थी बादल घिरे हुए थे कब  बरस जायेगें कहा नहीं जा सकता  |,
जज साहिबा के पेशानी पर बल थे |
    प्रेम सिंह  ! . .. मैडम ने अर्दली  प्रेमसिंह  को  आवाज  दी  |
 जी हुजूर  !  प्रेम सिंह अंदर दाखिल  हुआ
बाहर बैठे  इनके माता-पिता  को अंदर बुलाओ |
  जी अच्छा | प्रेम सिंह बाहर चला  गया  |
 अंदर  मुंसफ  गंभीर मुद्रा में  और फरियादी  हाथ जोड़े एक दूसरे को आशा भरी निगाह से देख रहे थे  सभी चुप थे | मौन बोल रहा था | शायद अब आगे  बयान  या  ...की आवश्यकता नहीं थी  |
 बाहर निकल लालपरी माँ से लिपट रो पड़ी थी |
माँ जन्मते ही तूने मुझे संखिया  [जहर ] दे  दिया होता ,ये दिन न देखने पड़ते,तू  कहती हैं  न  कि गरीब मजलूम की बेटी का कोई सगा नहीं  .....|
 अब कौन किसको क्या देगा शायद तारीखें  बताएंगी  ,दो दिन बाद अखबारों में खबर थी  बेटी  संग  माँ -बाप गंग-नहर  में डूब मरे, अभी तक कारण पता नहीं चल सका  है |

                       -  उदय वीर सिंह





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