रविवार, 30 अक्तूबर 2016

मेरे घर का उजाला था,


मेरे घर का उजाला था, 
सितारों का हो गया 
दामन का मेरे  फूल था ,
हजारों का हो गया -
आंखे उडिका विच , 
 लबों से सवाल गुम 
बाहें  मेरी छोड़ अब  , 
दीवारों का हो गया -
वतन की हिफाजत में ,
निसार गया जिंदगी 
जा शहीदी की सेज  ,
जांनिसारों का हो गया -

उदय वीर सिंह 



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